* part 5 And part 6*
Part 5:
बहुत से लोग कैश फ्लो गेम में खूब पैसा जीतते है। फिर उन्हें समझ नहीं आता कि उस पैसे का क्या करे तो वे हारने लगते है। इसकी वजह है उनकी पुरानी सोच जो आगे नहीं बढ़ने देती। और फिर वे बाद में सारा पैसा ही हार बैठते है। कुछ लोग कहते है कि वे हार गए क्योंकि उनके पास सही पत्ते नहीं थे। बहुत से लोग इसी तरह जिंदगी में सही मौको की तलाश में बैठे रहते है। कुछ लोगों तो सही मौका मिलता भी है तो उसका फायदा नहीं उठा पाते क्योंकि वे कहेंगे कि उनके पास पैसा ही नहीं था।
अब कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें पैसा और मौका दोनों मिले फिर भी वे कुछ हासिल नहीं कर पाए क्योंकि दरअसल वे समझ ही नहीं पाए कि ये एक अपोर च्यूनिटी है। फिनेंशियेल इंटेलीजेंस का मतलब है कि आप पैसे को लेकर कितने क्रिएटिव हो सकते है अगर आपको मौका मिलता है तो बगैर पैसे के आप क्या करेंगे, और अगर पैसा है मगर मौका नहीं तो उस सूरत में आप क्या करेंगे, ये सब आपकी फिनेंशियेल इंटेलीजेंस पर निर्भर करता है | ज़्यादातर लोग इस बात का एक ही सोल्यूशन जानते है कि खूब मेहनत करके खूब पैसा कमाया जाए।
लेकिन आपको सीखना है कि अपने लिए मौका कैसे पैदा किया जाए ना कि उसके इंतज़ार में बैठे रहे। सबसे ख़ास बात अमीरों की जो है वे ये कि उन्हें पता है पैसा असल चीज़ नहीं है, असल चीज़ है इसका सही मतलब जानना। ये जान लेना कि जो हमें चाहिए वो हम इससे बना सकते है। हमारा दिमाग हमारे लिए सबसे बड़ा एस्सेट होता है। यही हमें सुपर रिच बना सकता है या सुपर पुअर निर्भर करता है कि हम कैसे इसका इस्तेमाल करे। जो लोग सफल है उनके साथ कदम मिलाकर चलना है तो आपको ये सीखना पड़ेगा कि पैसा बढाने करने की चाहत खुद में कैसे पैदा करे।
आपको अपने सबसे बड़े एस्सेट यानि आपके दिमाग को इन्वेस्ट करने की ज़रुरत है। आपको फिनेंशियेली इंटेलीजेंट होना पड़ेगा। आइये इसका एक उदाहरण समझे। 1990 के दशक में एरिज़ोना और फोनिक्स के आर्थिक हालात बुरे चल रहे थे। वहां के लोगो को हर महीने 100 डालर बचाने की सलाह दी जा रही थी। बुरे वक्त के लिए पैसा बचाने का विचार कुछ हद तक सही भी है। मगर उस पैसे का क्या फायदा जो आप जमा करते जाते है। इससे तो अच्छा है उसका कुछ हिस्सा इन्वेस्ट किया जाए जो आगे चलकर आपको फायदा दे। खैर, बात करते है एरिज़ोना और फोनिक्स के लोगो की जो आर्थिक तंगी झेल रहे थे। ऐसे में इन्वेस्टर को ये एक बढ़िया मौका लगा। लोग जो अपनी प्रापर्टी अपने पौने दामो में बेच रहे थे वो कई इन्वेस्टर्स ने हाथो हाथ खरीद ली।
राबर्ट ने भी 75,000 डालर की कीमत वाला एक घर सिर्फ 20,000 डालर में खरीद लिया। इसके बाद उन्होंने अटार्नी के आफिस में एक एड दिया। 75,000 डालर वाला घर सिर्फ 60,000 डालर में लेने के लिए ग्राहकों टूट पड़े। राबर्ट का फ़ोन बजना बंद ही नहीं हो रहा था। ये पैसा उनको उस एस्सेट से मिलने जा रहा था जो उन्होंने प्रोमिसरी नोट के रूप में ग्राहक से लिया था। और उन्हें ये पैसा कमाने में केवल 5 घंटे लगे। उन्होंने जो 40,000 रूपये इन्वेंट किये वो उनके कालम आफ़ एस्सेट में क्रियेट हुए थे। और बगैर टैक्स के उन्होंने अचानक ही मिले एक मौके का फायदा उठाकर ये पैसे क्रियेट अपने इनकम कालम में एड कर लिए।
कुछ सालो बाद ही उनके इस बिजनेस ने इतना पैसा क्रियेट किया कि उनकी कम्पनी की कार, गेस, इंश्योरेंस, क्लाइंटस के साथ डिनर, ट्रिप और बाकी चीज़े सब कवर हो गयी। जब तक गवर्नमेंट उन खर्चो पर टैक्स लगाती, इनमे से ज़्यादातर चीज़े प्री टैक्स एक्स्पेंसेस में खर्च हो चुकी थी। कुछ सालो बाद ही जो घर 60,000 डालर में बिका था अब वो 10,000 डालर का था अभी भी उनके पास कुछ मौके थे मगर वे इतने कम थे कि उनके लिए राबर्ट को एक वैल्युएबल एस्सेट लगाना पड़ता और अपना वक्त भी। तो वे आगे बड़ गए।
उन्हें अब नये मौको की तलाश करनी थी। अब आप एक सवाल खुद से कीजिये। मेहनत करना भी बहुत मेहनत का काम है। 50० टैक्स भरिये और बाकी बचाइये। अब वो सेविंग्स आपको 5० इंटरेस्ट देंगी और फिर उस पर भी आप और टैक्स भरे ? इससे तो अच्छा होगा कि अपना पैसा और टाइम अपने सबसे पावरफुल एस्सेट यानी अपने दिमाग पर इन्वेस्ट करे और फिनेंशियेली इंटेलीजेंट बने।
ये दुनिया कभी एक सी नहीं रहती। जो आज है कल नहीं होगा। कभी मंदी तो कभी तेज़ी का दौर चलता रहेगा। वक्त के साथ टेक्नोलोजी और बेहतर होती जाएगी। आज मार्केट ऊपर है तो कल नीचे होगा खासकर स्टोक मार्केट तो हर रोज़ बदलता है मगर इससे आपको क्या फर्क पड़ेगा अगर आप फिनेंशियेल इंटेलिजेंट है तो ? क्योंकि आप तो हर हालात के लिए तैयार रहेंगे। आपको जिंदगी में बेशुमार मौके मिलेंगे जहां आप अपनी फिनेशियेल इंटेलिजेंट का फायदा उठा सकते है, ज़रुरत है तो बस उन मौको को लपकने की।
अमूमन हम दो तरह इन्वेस्टर देख सकते है। पहले वो जो पैकेज इन्वेस्टमेंट खरीदते है। और ये काफी आसान और बगैर झनन््झट का काम है। दुसरे इन्वेस्टर अपने लिए खुद ही इन्वेस्टमेंट क्रियेट करते है। इनको आप प्रोफेशनल भी कह सकते है। जितना ये इन्वेस्ट करते है उससे कई गुना ज्यादा पैसा बना लेते है। अब अगर आप इस तरह के इन्वेस्टर बनना चाहते है तो आपको खासतौर पर इन तीन स्किल्स को समझने की ज़रुरत
है;
Part 6:
1. ऐसी अपोर्च्यूनिटी ढूंढिए जो बाकी न ढूंढ सके होः
याद रहे आपकी दिमाग वो देख सकता है जो बाकियों
की आंखे भी न देख पाए
2. पैसा बड़ाइये:
जब पैसे की ज़रुरत पड़े, मिडल क्लास केवल बैंक जाता ह मगर दुसरे टाइप के इन्वेस्टर पैसा बड़ा कर केपिटल रेज करते है। उन्हें हमेशा बैंक की ज़रुरत नहीं पड़ती।
3. स्मार्ट लोगो को ओर्गेनाइज़ कीजिये:
इंटेलीजेंट लोग वे होते है जो अपने से ज्यादा स्मार्ट लोगो के साथ मिलकर काम करते है इसलिए इन्वेस्ट करने से पहले अपने इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र को चुने। मुझे मालूम है कि ये सब आपके लिए कुछ ज्यादा है मगर इसके रिवार्डस शानदार है। जिंदगी में रिस्क बहुत है लेकिन उन्हें हैंडल करना सीख कर ही आप अमीर बन पायेंगे।
सबक 6: सीखने के लिए काम करे, पैसे के लिए नहीं
एक बार एक जर्नलिस्ट ने राबर्ट का इंटरव्यू लिया था। राबर्ट उसके अर्टिकल पहले भी पढ़ चुके थे और उस जरनलिस्ट के लिखने की स्टाइल से बेहद प्रभावित थे। इंटरव्यू जब पूरा हुआ तो उस जर्नलिस्ट ने राबर्ट को बताया कि वो एक मशहूर लेखिका बनकर उनकी ही तरह एक दिन फेमस होना चाहती है।राबर्ट ने उससे पुछा “तो ऐसा क्या है जो उन्हें मशहूर होने से रोक रहा है' इस सवाल के ज़वाब में उस जनर्लिस्ट ने कहा"”उनकी जाब आगे नहीं बड पा रही”। इस पर राबर्ट ने सुझाव दिया कि उस जनर्लिस्ट को कोई सेल्स क्लास ज्वाइन कर लेनी चाहिए। जर्नलिस्ट ने बताया कि उनकी एक दोस्त उन्हें पहले ही ये आफर दे चुकी है मगर उन्हें ये छोटा काम लगता है। वे ये भूल गयी थी कि राबर्ट खुद कभी सेल्स स्कूल जा चुके थे।
इस बात का पाइंट ये है कि अगर आपके पास कोई टेलेंट है जिसके दम पर आप कुछ पैसा कमाना चाहते है तो आपका टेलेंट काफी नहीं होगा क्योंकि उस टेलेंट को कैसे भुनाया जाए जब तक आप ये बात नहीं जानते आपका टेलेंट यूं ही बेकार है। जब तक आप उसे लोगो के सामने पेश करने का हुनर नहीं सीख जाते, आप कुछ नहीं कमा सकते। तो बेचने की कला सीखने में कोई शर्म की बात नहीं है। किसी भी सेल्समेन को इसके लिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए।
एक जो सबसे बड़ा फर्क अमीर डैड और गरीब डैड के बीच था वो ये कि गरीब डैड हमेशा नौकरी की चिंता करते थे कि जाब हमेशा सिक्योर रहे। क्योंकि एक सेफ जाब ही उनके लिए सब कुछ थी। जबकि अमीर डैड हमेशा सिर्फ और सिर्फ कुछ सीखने पर जोर देते थे। अमीर बनने के लिए आपको बहुत कुछ सीखना पड़ेगा। इसके अलग पहलु को देखे तो स्कूल हमें रिवार्ड करते है किसी एक ही ख़ास चीज़ में महारत के लिए। इसका एक उदाहरण देखिये।
जब डाक्टर मास्टर की डिग्री लेते है उसके बाद किसी एक स्पेशल फील्ड में डाक्टरेट करते है जैसे कि पीडियाट्रिक या कुछ और। मतलब एक छोटे से विषय पर उन्हें बहुत पढना पड़ता है उस फील्ड में महारत के लिए। और यही उनका रिवार्ड होता है। ऐसे ही बहुत कुछ जानने के लिए जो थोडा बहुत आप सीखते है वो नालेज तभी आएगी जब आप अलग अलग कंपनीयों के लिए काम करेंगे, दुनिया की अलग अलग चीजों को जानेगे, चीजे कैसे काम करती है ये सभी बाते अनुभव करेंगे तभी आपकी नालेज बड़ेगी। शायद यही वजह थी कि अमीर डैड छोटे राबर्ट और माइक को अपने साथ लेकर जाते थे जब वे अपने डाक्टर, एकाउंटेंटस, लायर या किसी प्रोफेशनल से मिलने जाते।
जब राबर्ट ने मेरिन कोर्प्स ज्वाइन करने के लिए अपनी हाई पेईंग जाब छोड़ी तो उसके गरीब मगर पढ़े लिखे पिता समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर राबर्ट ने ऐसी शानदार नौकरी क्यों छोड़ी। वे एक तरह से इस फैसले से सख्त निराश हुए। राबर्ट ने उन्हें समझाने की हरमुमकिन कोशिश की कि उनका ऐसा करना क्यों ज़रूरी था मगर उन्हें ये बात हज़म नहीं हो रही थी। रार्बर्ट ने उन्हें कहा कि वे सीखना चाहते है कि खुले आसमान में कैसे उड़े। उन्हें जानना था कि वर्कर्स की टीम को कैसे हैंडल किया जाए, किसी भी कम्पनी को अपने बलबूते पर चलाना कितना मुश्किल काम है, राबर्ट ये सब सीखना चाहते थे।
वियतनाम से लौटने के बाद राबर्ट ने अपनी जाब से रिजाइन कर दिया और जिरोक्स कोर्प्स को ज्वाइन कर लिया। उन्हें ये नौकरी किसी फायदे के लिए नहीं चाहिए थी। वो इतने शर्मीले थे कि किसी को कुछ भी बेचने के ख्याल से ही उन्हें पसीना आ जाता। अपनी इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होंने जिरोक्स के सेल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम की शिक्षा ली। इसके बाद राबर्ट ने खुद अपनी कंपनी की शुरुवात की और अपना पहला शिपमेंट भेजा। वे अगर इसमें नाकामयाब रहते तो पक्का दिवालिया हो जाते।
लेकिन उन्होंने ये रिस्क लिया और अपने अमीर डैड की सीख को याद रखा कि बेशक आप उ0 की उम्र से पहले दिवालिया होने का रिस्क ले सकते हो क्योंकि इस उम्र में आपको रिकवर होने का मौका भी मिल जाता है। ज्यादातर एम्प्लोयी अपने वर्कर्स को इतना तो पे करते है कि वे काम छोड़ कर ना जाए और ज्यदातर वर्कर भी जी फाड़ कर इसलिए मेहनत करते है कि वे काम से निकाले ना जाए। इसलिए तो उन्हें सिर्फ अपनी सेलेरी और कंपनी से मिलने वाले फायदों से ही मतलब होता है। इस सोच के साथ उनके कुछ साल तो बढ़िया गुज़रते है मगर ये लम्बे समय तक काम नहीं करता। तो क्यों ना आप वो सब कुछ अभी सीखे जो आप सीखना चाहते है इससे पहले कि आप कोई एक ख़ास प्रोफेशन अपने लिए चुने क्योंकि अगर एक बार आपने अपना प्रोफेशन चुन लिया तो आप हमेशा के लिए उसी से बंध कर रह जायेंगे।
THANKS FOR READING!!
1 Comments
Nice job 👍
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