Introduction:
रॉबर्ट टी. कियोसाकी द्वारा लिखी गई पुस्तक Rich Dad Poor Dad में पैसों का Management कैसे करना है बहुत अच्छे से बताया गया है। “रिच डैड पुअर डैड” किताब -पैसो के बारे अमीर लोग और गरीब लोग अपने बच्चो को क्या सिखाते है? इसके बारे में सपूर्ण जानकारी हिंदी में हर व्यक्ति अमीर बनना चाहता है। सभी का सपना होता है, कि उनके पास बहुत धन दौलत हो महंगी गाड़ियां, बंगले, महंगे कपड़े हों।
यह सपना तो सभी लोग देखते हैं, पर बहुत कम लोग ही इस सपने को पूरा कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि लोग मेहनत नहीं करते। बेशक वह कड़ी मेहनत करते हैं, पर पैसों का मैनेजमेंट कैसे करना है लोग यह नहीं जानते हैं। इस वजह से लोगों के अमीर बनने के सपने पूरे नहीं हो पाते।
Part No. 1:
अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते
एक बार एक आदमी था जिसके पास एक गधा था। जब भी उसे अपने गधे से कुछ मेहनत करवानी होती थी तो वे एक गाजर को उसके सामने लटका देता था। उस गाज़र को देखते ही गधा उसे खाने के लालच में काम करता चला जाता था। उसे उम्मीद थी कि एक दिन वो उस गाज़र तक पहुंच ही जाएगा। अब ये उस आदमी के लिए तो एक अच्छी तरकीब बन गयी मगर बेचारे गधे को कभी भी वो गाज़र नहीं मिल पायी।
क्यों? इसलिए कि वो गाज़र बस एक छलावा है। बहुत से लोग ठीक उस गधे की तरह ही होते है। वे मेहनत पर मेहनत किये चले जाते है, इस उम्मीद में कि एक दिन वे अमीर बन जायेंगे। मगर पैसा उनके लिए महज़ एक सपना बन के रह जाता है। इस सपने के पीछे भागने से आप उस तक कभी नहीं पहुंच सकते। तो पैसे के लिए काम करने के बजाये पैसे को अपने लिए काम करने दे।
जब आप अमीर बनना चाहते है तो सिर्फ पैसे कमाने के लिए काम ना करे। क्योंकि जैसे ही हम अमीर बनने की राह में कदम बढ़ाते है, हमारा डर और लालच हम पर हावी होने लगता है कि कहीं हम गरीब के गरीब ही ना रह जाये। इसी डर से हम और ज्यादा मेहनत करने में जुट जाते है। फिर हमारा लालच हम पर हावी होने लगता है। हम उन सारी खूबसूरत चीजों की कल्पना करने लगते है जो पैसे से हासिल की जा सकती है। अब यही डर और लालच हमें ऐसे चक्कर में उलझा देता है जो कभी ख़त्म नहीं होता। तो हम अब और मेहनत करते है कि और ज्यादा कमा सके और फिर हमारा खर्च भी उसी हिसाब से बढ़ने लगता है। इसको ही अमीर डेड “RAT RACE” रेट रेस कहते है।
अब इसका नतीजा ये हुआ कि हम पैसे कमाने के लिए हद से ज्यादा मेहनत करते है, खर्च करते है। ये एक ट्रेप है। और आपको लालच और डर का ये ट्रेप अवायड करना है। क्योंकि हममें से अधिकतर लोग जो अमीर होना चाहते है, इसी ट्रेप का शिकार हो जाते है। पैसे के पीछे मत भागिए बल्कि पैसे को अपने पीछे भागने के लिए मजबूर कर दीजिए। आपकी नौकरी लगी है तो काम पर ये सोच कर मत जाईये कि हर महीने आपको एक पे चेक लेना है।। क्योंकि वो pay चेक आपके सारे FARE मुश्किल से ही भर पाता है। ये हर महीने की कहानी बन जाती है। फिर तंग आकर आप कोई दूसरी नौकरी ढूंढकर और ज्यादा मेहनत करने लगते है। लेकिन तब भी आप पैसे के लिए ही काम कर रहे होते है। और यही वजह है कि आप कभी अमीर नहीं बन पाते।
# सच का सामना कीजिये।
आप खुद के लिए जवाबदेह है दुसरो के लिए नहीं। तो आपके जो भी सवाल है, खुद से Why क्योंकि उनका जवाब सिर्फ आपके ही पास है। and आप सिर्फ इसलिए काम कर रहे है कि आपकी जिंदगी में सिक्योरिटी रहे ? एक ऐसी नौकरी जहां से आपको निकाले जाने का कोई डर न हो ? या फिर आप सिर्फ दो पैसे कमाने के लिए काम करते है ? और आपको लगता है कि एक दिन आप इस तरह अमीर हो जायेंगे। क्या बस यही आपको सेटीस फाई करने के लिए काफी है ? अगर आपका जवाब हां है तो मुझे आपकी सोच पर अफ़सोस है क्योंकि आपने जो अमीर बनने का सपना देखा है वो कभी पूरा नहीं होने वाला। आप हमेशा गरीबी में ही जियेंगे। लेकिन अगर आपका जवाब “ना” है तो आपका पहला कदम ये होगा कि सबसे पहले आप अपने मन से डर हटा दीजिये। क्योंकि ज्यादा पैसा ना कमा पाने का डर और लालच ही आपको बगैर सोचे समझे काम करने के लिए मजबूर करता है। और हमारा यही कदम हमें नाकामयाबी की तरफ धकेलता है। बेशक हम सब के अन्दर डर और चाहत की भावना होती है लेकिन उन्हें खुद पर इतना हावी ना होने दे कि हम उनके बस में होकर उलटे सीधे फैसले लेने लग जाए। बेहतर होगा कि हम जो भी करे पहले उसके बारे में खूब सोच ले। हमेशा दिल से नहीं बल्कि दिमाग से काम ले।
हर सुबह अपने आप से पूछिए क्या आप उतना कर पा रहे है जितना कि आपको करना चाहिए? क्या आप अपनी पोटेंशियल का पूरा इस्तेमाल कर पा रहे है? आम लोगो की तरह सोचना छोड़ दीजिये जो काम सिर्फ और सिर्फ पैसे के लिए करते है। ये सोचना छोड़ दीजिये कि “ मेरा बास कम पैसा देता है, मुझे ज्यादा मिलना चाहिए, मै इससे ज्यादा कमा सकता हूं"। याद रखिये, आपकी परेशानियों के लिए सिर्फ आप जिम्मेदार है, कोई और नहीं। बास आपकी सेलेरी नही बढाता तो उसे sears मत दीजिये, टैक्स को इल्जाम मत दीजिये। जब आप खुद की समस्याओं की जिम्मेदारी लेते है तब सिर्फ आप ही उसका हल निकाल सकते है। यही वो पहला सबक है जो अमीर डेड ने राबर्ट को सिखाया।
इस सबक का एक पार्ट ये भी था कि अमीर डेड ने उन्हें एक कंवीनीयेंस स्टोर में काम पर लगा दिया। उन्हें इस काम के कोई पैसे नहीं मिले। वे बस काम करते रहे। इसका फायदा ये हुआ कि वे अपने दिल से काम में लगे रहे और इस दौरान कई नये आइडिया उनके दिमाग में आते रहे। पैसे को अपने पीछे कैसे भगाया जाए इस बारे में उन्हें कई विचार मिले। उन्होंने देखा कि उस स्टोर की क्लर्क कोमिक्स बुक के फ्रंट पेज को दो हिस्सों में फाड़ देती थी। आधा हिस्सा वो रख लेती और आधा हिस्सा फेंक देती थी। देर शाम स्टोर में एक डिस्ट्रीब्युटर आया करता था। वो कोमिक्स बुक के उपरी आधे हिस्से को क्रेडिट के लिए लेता और बदले में नयी कोमिक्स बुक्स दे जाया करता। एक दिन उन्होंने उस डिस्ट्रीब्युटर से पूछा कि क्या वो पुरानी कोमिक्स बुक्स ले सकते
है। वो इस शर्त पर मान गया कि वे उन कोमिक्स को बेचेंगे नहीं। ये उनके दिमाग में बिजनेस का एक नया आइडिया था। उन्होंने वे पुरानी कोमिकबुक्स अपने दोस्तों और बाकी बच्चों को पढने के लिए किराए पर देनी शुरू कर दी। बदले में वे हर किताब का 10 सेंट किराया वसूल करते थे। हर किताब सिर्फ दो घंटे के हिसाब से पढने के लिए दी जाती थी तो असल मायनों में वे उन्हें बेच नहीं रहे थे। उन्हें उस गेराज पर काम भी नहीं करना पड़ा जहां से वे कोमिक्स किराए पर देते थे। उन्होंने माइक की बहन को काम पर रखा जिसके लिए उसे हर हफ्ते | डालर दिया जाता। एक ही हफ्ते में उन्होंने 915 डालर कमाए। इस तरह उन्होंने सीखा कि पैसे को खुद के लिए काम करने दो ना कि आप पैसे के लिए काम करो।
# सबक 2:
फिनेंसियल लीटरेसी क्यों सिखाई जाए ? 1923 में एजवाटर बीच होटल, शिकागो में एक मीटिंग हुई। दुनिया के बहुत से लीडर और बेहद अमीर बिजनेसमेन इस मीटिंग का हिस्सा बने। इनमे से थे एक बहुत बड़ी स्टील कंपनी के मालिक चार्ल्स शवाब और समुअल इंसुल उस वक्त की लार्जेस्ट यूटीलिटी प्रेजिडेंट और बाकी कई और बड़े बिजनेसमेन। इस मीटिंग के 25 साल बाद इनमे से कई लोग गरीबी में मरे, कुछ ने ख़ुदकुशी कर ली थी और कईयों ने तो अपना दिमागी संतुलन खो दिया था।
असल बात तो ये है कि लोग पैसे कमाने में इतने मशगूल हो जाते है कि वो ये ख़ास बात सीखना भूल जाते है कि पैसे को रखा कैसे जाए। आप चाहे जितना मर्ज़ी पैसा कमा ले, उसे बनाये रखना असली बात है। और अगर ये हुनर आपने सीख लिया तो आप किसी भी आड़े टेड़े हालात का सामना आसानी से कर लेंगे। लाटरी में मिलियन जीतने वाले लोग कुछ सालो तक तो मज़े से जीते है मगर फिर वापस उसी पुरानी हालत में पहुंच जाते है। अधिकतर लोगो के सवाल होते है कि अमीर कैसे बने? या अमीर बनने के लिए क्या करे ? इन सवालो के ज़वाब से अधिकतर लोगो को निराशा ही होती है। मगर इसका सही ज़वाब होगा कि पहले आप फानेंसियेली लिट्रेट बनना सीखे। देखिये ! अगर आपको एम्पायर स्टेट बिल्डिंग खड़ी करनी है तो सबसे पहले आपको एक गहरा TST खोदना पड़ेगा, फिर उसके लिए एक मज़बूत नींव रखनी पड़ेगी। लेकिन अगर आपको एक छोटा सा घर बनाना हो तो एक 6 Sat कोंक्रीट Sets डालकर भी आपका काम चल जाएगा। मगर अफ़सोस तो इसी बात का है कि हम में से ज़्यादातर लोग 6 Sat पर एक एम्पायर स्टेट बिल्डिंग खड़ी करना चाहते है। और वे ऐसा करते भी है तो ज़ाहिर है कि बिल्डिंग टूटेगी ही टूटेगी।
गरीब डेड राबर्ट से बस यही चाहते थे कि वे खूब पढ़ाई करे, लेकिन अमीर डेड उसे फिनेंसियेली लिट्रेट बनना चाहते थे। ज्यादातर स्कूल सिस्टम बस घर बनाना सिखाते है, मज़बूत फाउंडेशन नहीं। स्कूली शिक्षा और पढ़ाई की अपनी अहमियत है मगर असल जिंदगी में ये ही सब कुछ नहीं है।
Part No. 2
लाएबिलिटीज़ और एस्सेट्स के बीच फर्क समझे और एस्सेटस खरीदे।
सुनने में बड़ी आसान बात लगती है। लेकिन यही एक रुल है जो आपको अमीर बनाने में मदद करेगा। अक्सर गरीब और मिडल क्लास लोग लाएबिलिटज को एस्सेट समझ लेते है। मगर अमीर जानता है कि असल में एस्सेटस होते क्या है और वो वही खरीदता है। अमीर डेड किस प्रिंसिपल में यकीन रखते है जिसका मतलब है कीप इट सिंपल, स्टूपिड। उन्होंने लेखक और उसके दोस्त माइक को यही सिंपल बात सिखाई जिसकी बदौलत वे इतनी मज़बूत फाउंडेशन रखने में कामयाब रहे।
इस सीख की यही सिंपल बात है की लाएबिलिटीज़ और एस्सेटस के बीच फर्क समझे और एस्सेटस खरीदे लेकिन अगर ये इतना ही सिंपल है तो हर आदमी अमीर होता। है ना? मगर यहां मामला उल्टा है। ये दरअसल इतना सिंपल है कि हर कोई इस बारे में सोचता तक नहीं है। लोगो को लगता है कि उन्हें लाएबिलिटीज़ और एस्सेटस के बीच फर्क पता है मगर उन्हें सिर्फ लिट्रेसी के बारे में मालूम है फैनेंशियेल लिट्रेसी के बारे में नहीं। पीडीएप में कुछ ड्राइंग्स दी गई है जिसकी मदद से अमीर डैड ने एस्सेटस और लाएबिलिटीज़ के बीच का फर्क समझाया।
# एस्सेट्स का केश फ्लो पेटर्न कुछ इस तरह होता हैः
इनकम स्टेटमेंट बेलेंस शीट इनकम स्टेटमेंट को ' प्राफिट और लास' का स्टेटमेंट मानकर चलना चाहिए। इसका सिंपल सा मतलब है । इनकम कि आपके पास कितना पैसा आया और एक्सपेन्स है की आपसे कितना पैसा खर्च हुआ। बेलेंस शीट एस्सेटस और लाएबिलिटीज़ के बीच बेलेंस बताती है। बहुत से पढ़े लिखे एकाउंटेंटस को भी ये पता नहीं होता कि आखिर बेलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट कैसे एक दुसरे से जुड़े है।
# लाएबिलिटी में कैश फ्लो कुछ ऐसा होगा :
इनकम स्टेटमेंट बेलेंस शीट अब ये चार्ट देखने में बहुत सिंपल है, इसे आसानी से लोगो को समझाया जा सकता है। एस्सेटस वे चीज़े होती है जो आपके लिए पैसे कमाने का काम करती है। मान लो आप कोई घर खरीदकर उसे किराए पर देते है तो उसी किराए से आप वो लोन भी चूका सकते है जो आपने घर खरीदने के लिए लिया था। अब घर भी आपका हुआ और उससे मिलने वाला किराया भी। इसके उलट लाएबिलिटीज़ आपकी जेब से पैसे खर्च करवाती है। जैसे कि घर खरीदकर उसमे रहने से आपको कोई किराया नहीं मिलने वाला। तो अब आप समझ गए होंगे कि अगर अमीर बनना है तो एस्सेटस खरीदिए और गरीब ही रहना है तो लाएबिलिटीज़।
अमीर लोगो के पास ज्यादा पैसा इसलिए होता है कि वे इस प्रिंसिपल पर यकीन करते है। वही दूसरी तरफ गरीब लोग इस प्रिंसिपल को ठीक से समझ ही नहीं पाते। इसीलिए इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि सिर्फ लिट्रेट नहीं बल्कि फिनेंशियेली लिट्रेट बनिए। सिर्फ नंबर्स से कुछ नहीं होता, फर्क तो तब पड़ता है जब आप अपनी कहानी खुद लिखे। अधिकतर परिवारों में ये देखा गया है कि जो मेहनती होता है उसके पास पैसा भी ज्यादा होता है मगर उसका फायदा क्या जब सारा पैसा लाएबिलिटीज़ में ही खर्च हो जाए। अब देखिए, ये एक मिडल क्लास का कैश फ्लो है; इनकम स्टेटमेंट बेलेंस शीट ये चार्ट दिखाता है कि मिडल क्लास आदमी अपना पैसा किस तरह खर्च करता है। और अगर यही उनका तरीका रहता है तो सारी जिंदगी वे मिडल क्लास ही बनकर रहते है। या क्या पता उससे भी नीचे चले जाए। क्योंकि आप देख सकते है कि उनका सारा पैसा लाएबिलिटीज़ में ही खर्च हो रहा है। कभी मोर्टेज, कभी रेंट, कार लोन, हाउस लोन, क्रेडिट कार्ड का बिल, फीस और भी ना जाने क्या क्या। उनकी सारी कमाई इसीमे खर्च हो जाती है।
दूसरी ओर गरीब लोग है जिनकी कोई लाएबिलिटी तो नहीं है मगर उनके कोई एस्सेटस भी नही होते। वे भी पैसा कमाते है, सेलेरी पाते है मगर हर रोज़ के खर्चों में उनका सारा पैसा उड़ जाता है। माना एक गरीब आदमी हज़ार डालर कमाता है। उसमे से 300 डालर वो अपने छोटे से घर के किराए में खर्चता है, 200 डालर उसके आने जाने का किराया, 200 डालर टैक्स और 200 डालर खाने और कपड़ो में खर्च हो जाता है। अब उसके पास बचा क्या ? कुछ भी नहीं। और कभी कभी तो उधार लेकर काम चलाना पड़ता है जिससे वो और गरीब हो जाता है।
इसके उलट अमीर एस्सेटस खरीद कर रखते है। फिर उनके वो एस्सेटस उन्हें और पैसा कमा कर देते है। उनकी कमाई इसी तरह दो से चार, चार से आठ होती जाती है।
अधिकतर अमीर लोग दिमाग से काम लेते है। वे घर लोन पर लेकर उसे किराए पर लगा देते है। बिना मेहनत के हर महीने किराया मिलता है जिससे वे अपना लोन भी चुकता कर लेते है। मानिये कि लोन की इंस्टालमेंट
1 डालर है तो ये अपने चर का 2 डालर किराया वसूल करेंगे। 1 डालर बैंक को देंगे | डालर अपनी जेब में। तो हो गया ना ये बिना मेहनत के पैसा कमाना। तो असल में अमीर डैड और गरीब डैड के बीच बस सोच का फासला है। अपना पैसा कैसे खर्चे सिर्फ यही मुद्दे की बात है और कुछ नहीं।
THANKS FOR READING!!
Note: part 3 and part 4 coming soon in next post!!
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